हिंदी कहानियां लिखी हुई
खरगोश को देखकर सिंह ने क्रोध से लाल-लाल आँखे करके गरजकर कहा- ”अरे खरगोश, एक तो तू छोटा हैं और इतनी देर लगाकर आया हैं, आज तुझे मारकर कल जंगल के सारे पशुओ की जान ले लूँगा.
अतः उसने निश्चय किया कि वह फिर से घौसला बनाने के कार्य में पूरी सिद्धत से लग जायेगी.
कुरज की विनती सुनकर ग्वाले को दया आ गईं, उसने खेत के मालिक से कहा- छांटकर एक अच्छी सी गाय लेलो और इस कुरज को छोड़ दो. पर खेत का मालिक अत्यंत लोभी था.
एक दिन किसी काम के चलते वह उस जमीदार के यहाँ गया.
तब वह बोला- भासुरक कौन हैं ? क्या उसे ज्ञात नही कि यह जंगल तो मेरा हैं ?
आपका आहार तो एक जीव से पूर्ण हो जाता हैं.
उस ज्वार के खेत का मालिक बेहद लोभी लालची किस्म का व्यक्ति था.
कुरज खेत में चुग्गा चुगने उतरी तो छिपक गईं. कुरज उड़ने के लिए छटपटाने लगी तो किसान ने उसे पकड़ लिया.
आप उसकी मदद करों. उसकी परेशान मत करो सताओ मत , उन्हें लगा कि उसने माँ की बात न मानकर बहुत बड़ी भूल की हैं आगे से वह अपनी माँ की हर आज्ञा का पालन करेगी.
सब कुछ बदला बदला था. वह सोच रहे थे कि मैं रास्ता भूलकर पुनः द्वारका तो नहीं आ गया.
प्यार की हद तो देखो.... पप्पू - मैं तो गर्म चाय भी इसलिए ठंडी करके पीता हूं.
माँ ने उमा की प्रिय गुडिया को तोड़ डाला, जब उमा ने इसे देखा तो वह बेहद खिन्न हुई और रोने लगी.
कुछ समय बाद वहा से ऊंटों का झुण्ड गुजरा. कुरज ने ह्रदय चिर देने वाली करुण स्वर में विनती की.
कुछ समय तक दोनों ही महात्मा जी के मुह की ओर ताकते रहे फिर बोलर- किन्तु यह कैसे संभव हैं ? भूमि भी कभी बोलती हैं.